Tuesday, December 23, 2008

इम्मोशन भरा एक और चैनल

न्याय की मार मे जुड़ा एक और किरदार
आँसुओं की करदी इसने भी भरमार
उसको पता है किसी को कैसे नज़दीक लाया जाये
बस, उसकी दुखती नस पर हाथ रख दिया जाये

हम तेरे हैं, ये वादा जोरों से हो रहा है
इसी वादे के घेरे मे, मुस्कुराता चेहरा खो रहा है
कटघरे मे खड़ी हो गई है आज हर वो याद सुनहेरी
हर घर बन गया है दोस्तों, आपकी कचहेरी

दिलों के नज़दीक इतना इम्मोशन क्यों है?
सिनेमा हॉल मे बैठा इंसान, रोता क्यों है?
पिघलते दिलों का राज जान गया है, मनोरंजन का पर्दा
बहुत दुखदाई हो गई है आज हर अदा

मनोरंजन बन गया है आँसुओं का घर
छोटी-छोटी बातें बन गई हैं एक बड़ी ख़बर
मिट रही हैं, किसी कोने मे रखी वे यादें सुनहेरी
हर घर बन गया है दोस्तों, आपकी कचहेरी

रियेल्टी शोह मे छाया है इम्मोशन
नाच के फ्लोर पर पाया है इम्मोशन
गानों के दौर मे अटका है इम्मोशन
कॉमेडी के अवसर पर, भटका है इम्मोशन

सिरियल मे बस, इम्मोशन की ही भीड़ है
उन्हें लगता है, पब्लिक से जुड़ाव रखने की यही एक रीड़ है
टीवी पर वोट माँगता है इम्मोशन
दुनिया को अपने से ऐसे ही बाँधता है इम्मोशन?
अब एक और दौर चला जिसमे लुटती हैं यादें सुनहेरी
हर घर बन गया है दोस्तों, आपकी कचहेरी

एक गया तो दूसरा आया, हर एक, दूसरे से सवाया
छोटे पर्दे से चला गया, बड़े पर्दे तक इम्मोशन
हिट भी वही है जिसमे भरा है इम्मोशन
जब तक कोई रोये ना, किसी का दिल ना टूटे
पब्लिक के दिल मे बसता नहीं है इम्मोशन

टीवी पर रात दस बजे, खुरच रहे हैं दिल
दुखियारों की लगी है बड़ी जब़रदस्त महफ़िल
रिश्ते खड़े हो गए हैं एक-दूसरे के सामने
नहीं आता है फिर एक दूसरे के पहचानने
उस वक़्त लगता है, नहीं बची है कोई भी याद सुनहेरी
हर घर बन गया है दोस्तों, आपकी कचहेरी।

लख्मी

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