Saturday, February 14, 2009

दैनिक सुपर हीरो


दिन शनिवार, दिनाक:14/2/09, समय, 2:15

जगह, अर्चना की रेडलाइट


रोजमर्रा की ज़िंदगी हमारे होने या न होने की परवाह नहीं करती। वो अपनी ख़्वाबगाहों में बैठी उस राही का इंतेजार करती हैं जो उसके लिए बना है। जो मैं को सब कुछ में घुल जाता है। बिल्कुल पानी की तरह। उसे खुद से अलग नहीं बता सकते वो कलाबाज़ियों में माहिर है, हर किसी की आँख से टकराने का जोश उस मे है। वक्त उसके कारनामों को भुला नहीं सकता, वो आज का दैनिक सुपर हीरो है। उसके शरीर के लचीलेपन को वक्त की हर धारा सलाम करती है। ये है अपना हीरो, दैनिक हीरो। जो बहुरूपिया है, उसे समझना है तो उसके पास ठहरना होगा। वो तो छलिया है। खिलाड़ियों का खिलाड़ी जो खेल का मज़ा बरकरार रखता है। कभी वो वक्त की ताल पर नाचता है कभी वो वक़्त जो नचाता है।

राकेश

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