Tuesday, March 17, 2009

सब कुछ चल रहा है


दिनाँक- 13/02/2009, जगह- नेहरू प्लेस, समय- शाम 4:25 बजे


सब कुछ चल रहा है लेकिन इस सब कुछ चलने में भी एक ठहराव है जो न अपना है न सार्वजनिक है। उसे देखा जा सकता है, सुना जा सकता है और उसमें ख़ुद को उतारा भी जा सकता है। उसमें रंग-बदरंग पहलू भी है। जहाँ पर ख़ुद को अपने रूप से हटकर समझा जा सकता है।

उस स्थान में समय आकाशगंगा की तरह फूट कर चारों तरफ बिख़र जाता है। फिर ज़मी पर धीरे-धीरे उतर जाता है।

राकेश

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