Monday, July 19, 2010

ये एक खुल्ला संवाद है

अगर किसी सवाल का कोई जवाब नहीं है तो क्या वो सवाल रहता है? अगर वो सवाल नहीं है तो फिर वो क्या है?

मेरे एक साथी ने कहा कि कुछ सवाल हमेशा जिन्दा रहते हैं? यानि जिनका जवाब नहीं होता वे जिन्दापन का अहसास लिये जीते हैं तो फिर इसका मतलब क्या है?

ये एक और सवाल था लेकिन किसी एक ऐसे सवाल को सोचना जिसका कोई जवाब नहीं होता तो क्या उसको शहर मे, जीवन मे, संदर्भ मे और बातचीत मे उतारने के लिये किन्ही और सवालों की जरूरत होती है?

क्या वे सवाल जिनके जवाब नहीं होते, वे सवाल जिनके जवाब हमेशा बदलते रहते हैं, वे सवाल जिनके जवाब है लेकिन तलाशे नहीं जाते, वे सवाल जिनके कई जवाब हैं।

कुछ चीज़ें हमेशा उधेड़बुन मे रखती है। जो कभी समाप्ती या निवारण तक नहीं ले जाती। वे किन परतों मे जीती है? और उनका बसेरा कहाँ होता है?

लख्मी

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