Friday, August 27, 2010

चीजो को उसीं तरह रेहने देना



सदा हम चीजों के आस-पास होते हैं। कैसें कहाँ ,क्यों इस सें हम अन्जान होतें हैं।
एक जगह की कल्पना मे हम किसी तरह तो हैं।


राकेश

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