Tuesday, March 15, 2011

एक खामोश चुप्पी



कई आवाज़ें मेरे बाहर हैं और मैं उनके अन्दर हूँ। उनके अन्दर जाने पर मैं अपनी आवाज़ों के बाहर हो जाता हूँ।
लख्मी

2 comments:

abhishek said...

what is this man......what is this video for......it only makes sense for you......

sorry.

Unknown said...

भावनात्मकता से बाहर जाना किन रास्तों की तहत होता है?
भूमिक उन चिंहों की जो इन भावों को उनकी अपनी जगह पर रखकर उनसे टकराने की जहमत उठाते हैं।

इसमें उस बिंदू से सोचने की कोशिश है जो मेरे होने को मेरे होने से बाहर ले जाती है। अगर किसी दृश्य से उसकी ‍घनत्वता से बाहर ले जाया जाये तो उसकी क्या दिशा बनती है।

माफी चाहता हूँ जो ये वीडियो वो अहसास नहीं उभार पाई जिस सोच के बीच से मैं सोचने की कोशिश कर रहा था। असल मे, वीडियो से उसको समझा पाना नहीं हो सकता।
मैं समझाने को नहीं सोच पाता - मैं सोचने की कोशिश करता हूँ उसी रिद्धम को जिससे कोई लाइन आफ फोर्स पैदा होती है।

लख्मी