Wednesday, March 6, 2013

अशौकी दसवीं फेल

अशौकी
उम्र : 20 साल
दसवीं फेल

फेल होने के बाद में कुछ काम नहीं है उसके पास बस, घर में ही रहना और टीवी या खाना खाने में लगे रहना।

हर दिन कि शुरुआत -
मम्मी, "सारा दिन घर में ही पड़ा रहता है। कुछ देर बाहर भी घूम आया कर। घर में और काम भी होते हैं। वो करें या तेरी देखभाल में लगे रहें। और नहीं तो कम से कम दोस्तों में ही बैठ जाया कर।"

टीवी बन्द करके अशौकी गली के कोने पर जाकर खड़ा हो जाता -
सामने से आते पिताजी, "जब भी देखता हूँ,  तू गली के कोने पर ही दिखता है। दोस्तों में खड़े रहने से कुछ नहीं होने वाला। खामखा आड़े-तेड़े लोगों कि नज़रो में आकर हमारा और जीना हराम करोगें। घर में मन नहीं लगता क्या तुम्हारा। घर में इतनी चीज़ें हैं टाइम पास के लिये उसी में मन लगाओ।"

अशौकी पिताजी का टिफिन पकड़े फिर से घर कि तरफ चल दिया। इस बार बिना कोई आवाज़ किये चुपचाप ही जाकर रजाई में बैठ गया -

पास में खड़ी बहन बोली, "हर वक़्त बुसा सा मुँह बनाकर बैठा रहता है। यूँ नहीं कि लोगों में हंसू - बोलूँ। घर में तो हमेशा इतनी बातें होती हैं कम से कम उन्ही में ध्यान दे लिया करो।"

इस बात का बिना कोई जवाब दिये अशौकी खाने कि प्लेट लिये वहीं रजाई में बैठ गया और टीवी चलाकर गाने कि लय के साथ गाना गाने लगा -

साथ से एक और आवाज, "अपना मुँह बन्द कर ले भैय्या। घर है कोई स्टेज नहीं। जब देखो गाल बजाते रहते हो। कभी चुप भी रह लिया करो।"

जायें तो जायें कहाँ?
करे तो करे क्या?

अशौकी दसवीं फेल।

लख्मी

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