Thursday, July 4, 2013

आसपास से साधन



आसपास अनेकों रंगबिरंगी जीवन की घटनाओं का एक जत्था किसी एक शख्स की जिन्दगी की कहानी कहता है। कभी सौगातें, कभी मुश्किलें, कभी फैसले तो कभी चाहतों के गट्ठर बनकर। हर शख्स और रिश्तों के भीतर कई ऐसे कारणपस्त दृश्य छिपे हैं जो उदाहरण बने कईयो के जीवन में दखलअंदाजी करते हैं। एक दूसरे में ट्रांसफर होतेये दृश्य बनते एक जिन्दगी से हैं लेकिन फिर सबके हो जाते हैं। किताबें इन सबके हो जाने से पिरोये जाती हैं। जिनमें हंसी, खुशी, चुनौतियाँ, परेशानियां और उनके निवारण, कामयाबी के चरण को बखूबी बुनियादी शब्दों में बांधकर एक पुल बनाया जाता है। किताब उस पुल को ध्यानपूर्वकता से पढ़ने और भविष्य की तस्वीर को गाढ़ा कर देने की फोर्स का एक नाम भी हो सकता है।

स्कूली किताब के पाठ, आकार और पाठ के ज्ञान को उसके वज़न द्वारा किताबों में भरा जाता है। लेकिन इतने बेजोड़ जोड़ के बावजूद भी जब एक क्लास इनके बीच घूम रही होती है तब वे सभी वज़न आम जीवन की जमीन पर बिखर जाते हैं। जैसे किसी पाठ के किरदारों, जगहों, भाषाओं, महोलों से भरी लदी गाड़ी का जोरदार एक्सीडेंट जीवन के तरल पहाड़ से हो गया हो। उस पाठ के कई हिस्से आम जीवन की जमीन को छूने लगते हैं

किताबें अणुओं की भांति रेंगती हैं। एक से दूसरे को धकेलतीं हैं। फिर मिलना व चिपकना शुरू होता है। जिसमें कई ऐसी जीवनिए घटनायें, शख्स, भीड़, रिश्ते, कहानियां भी खिंच आती हैं जिनका भाषा और जमीन से चिपकने की कोई जरूरत नहीं।



लख्मी
 

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